Book Summaries in Hindi – Collection of Hindi Book Summaries and Audiobooks

The Subtle Art of Not Giving a F

The Subtle Art of not Giving a F, असल मतलब क्या है इस नाम का इस बात पर तो हम नहीं जायेंगे क्यूंकि नाम का मतलब कुछ फूहड़ है, पर हाँ, इस किताब में जो भी अच्छी-अच्छी बातें हैं उन्हें हम जरूर सीखेंगे | ऐसा इसलिए क्यूंकि चाणक्य ने कहा है की सोना गन्दी से गन्दी जगह पर ही क्यों न पड़ा हुआ हो, उसकी कीमत हमेशा सोने की ही होती है | इसी तरह किताब का नाम कुछ भी हो, उसमे बताई गयी अच्छी बातें अच्छी ही रहेंगी |

तो चलिए हम किताब में बताई गयी पहली सीख को समझते हैं-

हमें किसी भी चीज के बारे में ज्यादा क्यों नहीं सोचना चाहिए?

यह पुस्तक दूसरी पुस्तकों से कुछ अलग है | जहाँ बाकि किताबें हमें ज्यादा सोचने पर मजबूर करती हैं, वही ये किताब हमसे कहती है कि हमें ज्यादा नहीं सोचना चाहिए | जब हम ये सोचते हैं कि हम में कोई कमी है, तो हम उस कमी के कारण अपने जीवन में कुछ असंतुष्टि महसूस करने लगते हैं | फिर हम उस कमी को दूर करने का उपाय ढूँढने के लिए कोई किताब उठा लेते हैं | जैसे How to Win Friends and Influence People जो कि एक बड़ी ही प्रसिद्ध किताब है, Influence the Psychology of Persuasion एक और भी बहुत ही मानी हुई किताब है | ये कुछ पुस्तके हैं जो हर कोई अपने आप को बेहतर बनाने के लिए पढता है और बेहतर बनता भी है, तो फिर ऐसा करने में समस्या क्या है ?

ऐसा करने में समस्या यही है कि आप अपने आप में चाहे कितने भी सुधार ले आएं, लेकिन कभी परफेक्ट नहीं बन पाएंगे | और जैसे-जैसे आप अपने अंदर सुधार लाते जायेंगे तो आपको पता चलेगा कि अभी तो सुधार लाने की और भी गुंजाईश बाकी है | आप सोचेंगे “अभी तो मैं ऐसा कर के और सुधार ला सकता हूँ, वैसा करके तो और भी अच्छा बन सकता हूँ!” और ऐसा सोचते रहने से आपका अपने जीवन में असंतोष बना ही रहेगा |

दूसरी समस्या ये है कि जब आप अपने जीवन में सुधार लाने का प्रयास कर रहे होते हैं तब असल में आप अपने दिमाग में इस बात से सहमत हो जाते हैं कि आपमें कुछ कमी है | और इस कारण आपके जीवन में और भी नकारात्मकता आ जाती है | इसी बात को हम एक दुसरे नजरिये से भी समझ सकते हैं | आप अपने आप को एक ग्राहक कि तरह देखिये, जब तक आपको ये पता नहीं रहता कि बाजार में कोई प्रोडक्ट है तब तक आप ख़ुशी-ख़ुशी रहते हैं, आपको कुछ नहीं चाहिए होता | उदाहरण के लिए आप उस कार के बारे में सोचिये जो आप लेना चाहते हैं, जब तक आपको ये पता ही नहीं था कि बाजार में ये कार भी हैं, तब तक आप उसके बिना भी खुश थे | पर जैसे ही आपको उस कार के बारे में पता चला, वैसे ही आपका मन उस कार को खरीदने का करने लगा | अब उस कार का आपके पास नहीं होना आपको दुखी करने लगा | कुछ दिनों बाद आपने वह कार ले ली | इसके कुछ महीनो या सालों बाद फिर आपको एक नयी कार के बारे में पता चला और अब आपको लगने लगा कि इस नयी कार को लेकर आप और भी बेहतर कार पा सकते हैं, और फिर से वही चक्र शुरू हो गया | अब आपको फिर एक नयी कार चाहिए, परन्तु अगर ऐसा ही चलता रहा तो हमको तो दुनिया की हर कार खरीदनी पड़ेगी | हर कार लेना न तो फिलहाल संभव है और न ही ऐसा करने का कोई तुक बनता है | तो फिर ऐसी बात पर दुखी होने और बुरा महसूस करने का मतलब ही क्या?

 

जब आपके पास समस्याएं नहीं होती तब आपका दिमाग नई समस्याएं बानाता है

हमारे दिमाग की एक आदत होती है कि जब हमारे पास कोई समस्या न हो तब हमारा दिमाग खुद ही अपनी समस्याओं का अविष्कार कर लेता है | एक अच्छा साथी न होना, एक अच्छा मोबाइल हमारे पास न होना, अच्छे कपडे न होना, ये सब छोटी-मोटी सी, नकली सी समस्याएं हैं जो हमारे दिमाग ने हमारे लिए बना रखी हैं | इसका कारण ये हैं कि हमारे पास कोई असली परेशानियां हैं ही नहीं |

हमें हमारे दिमाग कि इस ख़राब आदत से अवगत रहना चाहिए | और जैसे ही हमें इस बात का एहसास हो कि हमारा दिमाग बस हमको परेशान करने के लिए हमारे सामने समस्याएं खड़ी कर रहा है तो हमको उसी समय उन समस्याओं के बारे में सोचना बंद कर के खुश रहना चाहिए|

ज़रा उन देशों के बारे में सोचिये जो अभी आतंकवादियों या तानाशाहों के नियंत्रण में हैं, हमारी सेना के लोगो के बारे में सोचिये जो अपने परिवार से कई सालों तक दूर रह कर भी सीमा पर दिन-रात तैनात हैं जिससे कि हम सुरक्षित रह सकें | उन लोगों कि समस्याओं से अपनी समस्याओं कि तुलना कर के देखो, तो आपको खुद शर्म आ जाएगी कि आप कितनी छोटी सी बात को ले कर परेशान हो रहे हैं |

छोटी-छोटी समस्याएं तो जीवन में आती रहती हैं, हमे उनको नजरअंदाज करना सीखना पड़ेगा|

 

आपके पास सीमित समय है

यह एक बहुत महत्वपूर्ण तथ्य है जिसे हम अक्सर नजरअंदाज करते रहते हैं | हमें हमेशा ये बात याद रखना चाहिए कि हमारे पास बहुत ही सीमित समय है | एक दिन सबका अंत निश्चित है | अब यह सीमित समय आप या तो हर छोटी बात कि चिंता करते हुए बिताया जा सकता है या फिर जीवन का आनंद लेते हुए बिताया जा सकता है | इसलिए हमेशा उन चीजों पर ध्यान दें जो सच में जरूरी हैं, न कि उन पर जिनका कोई महत्व नहीं है |

फल से प्रेम मत करो, कर्म से प्रेम करो

हम फल के बारे में ज्यादा सोचते हैं क्यूंकि हम उनको सफलता से जोड़ते हैं | हम बहुत संघर्ष करते हैं और बहुत तकलीफें झेलते हैं क्यूंकि हम बुरी तरह चाहते हैं कि हमे अच्छा फल मिल जाये |

पढाई के मामले में ऐसा बहुत होता है | हम वो पढाई करते हैं जिससे ज्यादा पैसे कमाने वाली नौकरी हमें मिले, हम अच्छी कमाई वाली नौकरी के मोह में पड़ जाते हैं और अपने आप को उस कोर्स में झोंक देते हैं जो हमें कभी पसंद ही नहीं था | पर ज्यादातर कर्म कि जगह फल के बारे में सोचना हमें महंगा पड़ जाता है |

बड़े उत्साह के साथ gym (व्यायामशाला) कि सदस्यता लेने वाले लोग जो कुछ दिन बाद gym जाना बंद कर देते हैं, वो एक अच्छा उदाहरण हैं उन लोगों का जो कर्म से ज्यादा फल के बारे में सोचते हैं | वो अपने सुडौल शरीर के सपने तो बहुत सजाते हैं, पर उन सपनो को पाने के लिए जो मेहनत और कष्ट झेलना पड़ता है उस पर ध्यान ही नहीं देते |

फल के बारे में ज्यादा सोचना हमें दुखी भी बनता है क्यूंकि हमें ये लगता है कि अगर ये परिणाम हमको मिल जायेगा तो हम ख़ुशी-ख़ुशी अपना जीवन बिता पाएंगे | पर इंसान का दिमाग कभी इतनी आसानी से खुश नहीं होता | हमारी जरूरते कभी समाप्त नहीं होतीं | इसलिए हमें फल कि जगह कर्म से प्रेम करना चाहिए |

हमें ऐसी समस्याएं ढूंढनी चाहिए जिनका समाधान ढूंढने में हमको मजा आये | हम जब वो करेंगे जो करना वाकई हमको पसंद है, तब हम कर्म को पसंद करना सीखेंगे | जब हमें कोई काम करना पसंद होता है तो हमें उस काम से जुड़ने में मजा आता है | जब हमको किसी काम को करने में मजा आने लगता है तो हम उस काम को बार-बार करते हैं | किसी भी काम को बार बार करने से हम उस काम में निपुण भी हो जाते हैं |

जरा सोचिये कि अगर आपके gym जाने का उद्देश्य एक सुडौल शरीर पाना नहीं, बल्कि ये हो कि आपको व्यायाम पसंद है इसलिए आप gym जाते हैं | जब आपको व्यायाम करना पसंद होगा तो आप खुद रोज व्यायाम करते रहोगे, एक अच्छा शरीर तो फिर अपने आप ही बन जायेगा |

अपने अहम पर लगाम दें 

जब आपका अहम आप पर हावी होने लगता है तब आपका व्यक्तिगत विकास रुक जाता है । अगर आप ऐसा सोचेंगे कि आप एक बहुत महान इंसान हैं जिसको सब कुछ पता है, तो आप दूसरों की बातें सुनना ही बंद कर देंगे । अगर आपको कोई कुछ काम की बात बताएगा भी तो आप बिना सुने ही उसकी बात नकार देंगे । इसलिए आप भले ही कितने भी पढ़े-लिखे इंसान हों , चाहे कितने भी माने हुए इंसान हों, आपको खुद पर घमंड नहीं होना चाहिए । जब आप अपने अहम को क़ाबू में रख कर ये सोचेंगे कि अभी तो आप बहुत ही कम ज्ञान अपने पास रखते हैं, और अभी इस दुनिया में आपके सामने सीखने को बहुत कुछ बाक़ी है तभी आप सही तरक़्क़ी कर पाएँगे । 

अपनी समस्याओं की ज़िम्मेदारी लें। 

ये बात तो सभी जानते हैं की जीवन में कोई समस्या ना आए ऐसा हो ही नहीं सकता । समस्याएँ तो आती रहेंगी और उनको ले कर रोते रहने से आपकी कोई मदद नहीं होने वाली । इसलिए बेहतर ये होगा कि आप अपनी समस्याओं के वश में रहने की जगह आपकी समस्याओं को अपने वश में करने की कोशिश करें । अगर कोई समस्या आपके रास्ते में आ रही है तो उस पर रोने या शिकायत करने की जगह उसके उपाय के बारे में सोचें । ऐसा करने से आप मजबूत तो बनेंगे ही, साथ में समझदार भी बनेंगे । जैसे रोज़ गणित के सवाल हल करने से आपका दिमाग़ हिसाब करने में तेज होता है, उसी तरह जीवन की समस्याओं को लगातार हल करते रहने से रोज़मर्रा की परिस्थितियों के लिए भी आपका दिमाग़ मजबूत और तेज बन जाएगा ।

The Blue Ocean Strategy

ज़्यादातर समझा ये जाता है कि व्यापार में सफल होने के लिए आपको अपने प्रतियोगियों को हराना होगा । पर Blue Ocean Strategy कहती है कि अपने प्रतियोगियों को हराने की कोशिश करना एक बहुत ही ख़राब रणनीति है । 

अगर आप एक पहले से ही स्थापित बाज़ार (Established Market) में घुसने की कोशिश करते हैं, जैसे कि आज-कल का मोबाइल फ़ोन का मार्केट, और आप उम्मीद करते हैं कि आप उस मार्केट में सबसे अच्छा प्रदर्शन करेंगे तो आप Red Ocean Strategy अपना रहे हैं । आजकल के तकनीकी रूप से उन्नत समय में किसी भी कम्पनी के लिए किसी भी स्थापित बाज़ार में घुसना बहुत ही आसान हो चुका है । ऐसे में एक स्थापित बाज़ार में परिपूर्णता (saturation) आना एक बहुत ही आम बात हो गयी है । 

बाज़ार में परिपूर्णता आना (Market Saturation) क्या है?

परिपूर्णता वह स्थिति कहलाती है जब बाज़ार में लगभग हर व्यक्ति के पास उत्पाद (product) पहुँच चुका होता है, जैसे कि इस समय हम कह सकते हैं कि भारत के बड़े शहरों में लगभग हर किसी के पास आज एक मोबाइल फ़ोन हैं । तो इस स्थिति में भारत के शहरों के मोबाइल फ़ोन बाज़ार को हम एक परिपूर्ण बाज़ार कह सकते हैं । 

जब बाज़ार परिपूर्ण हो जाता है तब उसमें बने रहने के लिए बस एक ही विकल्प बचता है- अपने प्रतिद्वंदियों से बाज़ार के हिस्से के लिए लड़ाई लड़ना । इस लड़ाई से कम्पनियाँ हानि (loss) के रूप में जब अपना खून बहातीं हैं तो उससे बाज़ार का पानी लाल हो जाता है । इसलिए इसे कहते हैं Red Ocean Strategy ।

इसकी जगह अगर आप इस लाल समुद्र से दूर निकल कर नीला पानी खोज लेते हैं, मतलब कि ऐसा बाज़ार जिसमें अभी कोई कम्पनी नहीं है, और जहां नया उत्पाद (product) लाया जा सकता है, तो आप अपनी उत्तरजीविता (survival) और लाभप्रदता (profitability) दोनों को बचा सकते हैं । इस रणनीति को कहते हैं Blue Ocean Strategy । 

Blue Ocean Strategy को अमल में लाने की लिए सबसे पहले आपको ढूँढना होगा Value Innovation, मतलब की एक ऐसा उत्पाद जो कि नया भी है और एक अच्छी गुणवत्ता का भी है । आपके Value Innovation की क़ीमत वर्तमान में आपके प्रतियोगी उत्पादों से मिलती जुलती भी होनी चाहिए । वर्तमान में मिल रहे उत्पादों से ये क़ीमत थोड़ी कम भी हो सकती है और थोड़ी ज़्यादा भी । 

Value Innovation का पता करने के बाद आपको बस चार बातों पर ध्यान देना है- Eliminate, Reduce, Raise और Create, घबराइए नहीं मैं अभी आपको पूरी प्रक्रिया एक अच्छे उदाहरण के साथ समझाऊँगा, पर पहले ज़रा इन चार कारकों (factors) को समझ लीजिए ।

  • Eliminate- ऐसे कौनसे कारक बाज़ार में हैं जिनको मैं पूरी तरह हटा सकता हूँ?
  • Reduce- किन कारकों को वर्तमान के औद्योगिक स्तर से भी नीचे लाया जा सकता है?
  • Raise- किन कारकों को वर्तमान के औद्योगिक स्तर से भी ऊपर ले जाया जा सकता है?
  • Create- ऐसे कौनसे कारकों को बनाया जा सकता है जिन्हे वर्तमान के बाज़ार में अभी कोई दे ही नहीं पा रहा है।

चलिए अब इस सिद्धांत को हम OYO Rooms के उदाहरण से समझते हैं । OYO Rooms ने 2013 में Blue Ocean Strategy के साथ अपना व्यापार शुरू किया था और आज ये कम्पनी भारत के सैकडों शहरों में काम कर रही है । 

OYO का Value Innovation

बहुत कम पैसों में एक तीन सितारा होटेल जैसा stay ।

इसके लिए OYO ने Eliminate क्या किया?

वो सभी फ़ालतू की चीजें जिनसे केवल होटल के रखरखाव का खर्च बढ़ता है जैसे बड़े-बड़े Lounge, Sports Club, Spa आदि।

ऐसा करके Reduce क्या किया?

क़ीमतें 

Raise क्या किया?

उन सभी चीजों का स्तर जिनसे ग्राहक का संतोष बढ़ता है जैसे साफ़-सफ़ाई, मुफ़्त का WiFi, कमरों में बड़े Flat Screen TV आदि ।

Create क्या किया?

OYO की होटलों कई बार लागत बचाने के लिए मुख्य बाज़ार में नहीं होती हैं। इसलिए अपनी होटलों को ग्राहकों के सामने लाने के लिए OYO ने App बनाया। इससे मुख्य बाज़ार में न होने के बाद भी OYO की होटलों को ग्राहकों के सामने लाने में सहायता मिली । 

इसके अलावा OYO ने मानक (Standards) भी बनाए । इसका मतलब कि आप OYO की किसी भी होटल में जाएँगे तो आपको उनकी कुछ चीजें उनकी बाक़ी की होटलों की तरह ही मिलेंगी, इससे ग्राहकों के अंदर एक पूर्वानुमान बन गया की अगर वो OYO की होटल में जाएँगे तो उनकी क्या-क्या अपेक्षाएँ है जो सत्-प्रतिशत पूरी होंगी ।

तो ये थी The Blue Ocean Startegy, OYO के उदाहरण के साथ । आशा है कि आपको समझ में आयी होगी।

5 Market Must Haves

Choose: The Single Most Important Decision Before Starting Your Business 

ये किताब इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी (Infromation Technology) या यूँ कहें कि ऑनलाइन बिज़नेस (Online Business)  के इर्द-गिर्द घूमती है। अगर सटीक तरीके से कहा जाए तो इस किताब  का मुख्य फोकस इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के भी इन्फॉर्मेशन वाले भाग पर ज्यादा है। इसी कारण इसके लेखक हमें एक एजुकेशन एंड ऐक्सपर्टीस (education & expertise) मतलब शिक्षा और कौशल से जुड़ा बिज़नेस करने की सलाह देते हैं। इसलिए अगर आप कोई शिक्षा या कौशल से जुड़ा बिज़नेस शुरू करने का सोच रहे हैं, जैसे कोई यूट्यूब चैनल (YouTube Channel) शुरू करना, ब्लॉग (Blog), इ-लर्निंग कोर्स (E-Learning Course), फ्रीलांसिंग (Freelancing) या ऐसे ही किसी और बिज़नेस को शुरू करना चाहते हैं तो इस किताब में बताई गयी बातें आपके बहुत काम आने वाली हैं।

इस सारांश (summary) में मैंने पूरी बुक को कवर नहीं किया है क्योंकि मुझे लगता है कि इसमें बताई गयी बहुत सी बातें आपको पहले से ही पता  होंगी। इसलिए मैं केवल उस टॉपिक पर बात करने वाला हूँ जो मुझे सबसे ज्यादा जरूरी लगा। उस टॉपिक का नाम है फाइव मार्केट मस्ट हैव (five market must haves)। फाइव मार्केट मस्ट हैव का मतलब है वो पांच बातें जिन्हे आपको किसी भी मार्केट में और खासतौर पर ऑनलाइन बिज़नेस वाले मार्केट में घुसने से पहले ढूंढनी हैं। अगर आपने अपने ऑनलाइन बिज़नेस को इन पांच बातों का फ़िल्टर लगा कर नहीं खोजा तो हो सकता है कि आप ऐसे मार्केट में घुस जाएंगे जहाँ आपके  सफल होने के बहुत कम आसार होंगे।

पर शायद इन पांच मार्केट मस्ट हैव को जानने से पहले आप ये सवाल पूछना चाहेंगे कि ऑनलाइन बिज़नेस ही क्यों करें और ऑनलाइन बिज़नेस के अंदर भी इस education and expertise  वाली सब-केटेगरी में ऐसी क्या ख़ास बात है? तो आइए पहले हम इन्ही दो सवालों के जवाबों को समझते हैं, ऐसा करने से आपको मार्केट मस्ट हैव भी ज्यादा आसानी से समझ में आ जायेंगे।

ऑनलाइन  बिज़नेस ही क्यों करें?

एक ऑनलाइन बिज़नेस की सबसे  खास बात ये होती है कि ये आपको स्केलेबिलिटी  (scalability) देता है। इंटरनेट आपके पारंपरिक बिज़नेस के स्कोप (scope) को भी बहुत बड़ा कर सकता है। उदाहरण के लिए, एक normal कपड़े की दुकान केवल उसी बाजार में कपड़े बेच सकती है जिस बाजार में वो फिजिकली प्रेजेंट (physically present) है। वो दुकान जिस शहर में है, केवल उसी शहर के लोग उसके पोटेंशियल कस्टमर (potential customers) हो सकते हैं क्योंकि उसका स्कोप वहीं तक सीमित है। इसकी जगह अगर वही दुकान एक ऑनलाइन बाजार, जैसे कि अमेज़न या फ्लिपकार्ट (amazon or flipkart) पर अपने कपड़े बेचने लगती है तो उसके कपड़े देश के किसी भी कोने में बेचे जा सकते हैं। ऑनलाइन हो जाने पर अपने शहर की सीमा इस दुकान के लिए कोई मायने नहीं रखेगी, उसका स्कोप सिटी लेवल (city level) से बढ़ कर नेशनल लेवल (national level) पर पहुँच जाएगा।

जो बिज़नेस नॉन-फिजिकल गुड्स (non-physical goods) बेचते हैं, तो उनका स्कोप इससे भी ज्यादा बड़ा होता है। ऐसे बिज़नेस  पूरे देश  में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में बिक्री कर सकते हैं। जो बिज़नेस ऐप, ई-बुक, या सॉफ्टवेयर (apps, e-books, software) जैसी चीजें बेचते हैं वो इस श्रेणी में आते हैं। उदाहरण के लिए नीचे दी गई App को देखिये।

यह एक साधारण सी App है जिसमे कि फ़ोन के लिए वॉलपेपरों (wallpapers) का संग्रह है। इसकी कीमत मात्र ₹10 है और ये अभी तक 10 हजार बार डाउनलोड की जा चुकी है। आप सोचिए कि अगर इस App को बनाने वाले व्यक्ति ने एक साधारण सी दुकान एक फिजिकल बाजार में लगायी होती जिसमे कि वो केवल गेम्स या सॉफ्टवेयर (games and software) बेचते तो तो क्या ये किसी भी चीज की 10 हजार कॉपियां (copies) बेच पाते?

यही बात सर्विसेज पर भी लागू होती है। पढ़ाना (teaching) एक सर्विस होती है। अगर आप नीचे दिए हुए कोर्स को देखें तो ये आपको पढ़ाता है कि पॉवरपॉइंट प्रेसेंटेशन्स (powerpoint presentations) कैसे बनाई जाती हैं। ये कोर्स अलग-अलग कीमतों पर बिकता है, पर अभी तक इस कोर्स को 30 हजार लोग ले चुके हैं।

इससे तुलना करने के लिए मान लीजिए कि आप एक ऐसे इंसान हैं जो पॉवरपॉइंट प्रेजेंटेशन बनाने में माहिर हैं, और आप जिस शहर में रहते हैं वहाँ पॉवरपॉइंट प्रेजेंटेशन बनाने की एक फिजिकल कोचिंग क्लास शुरू करते हैं, तो आपको क्या लगता है कि आप कितने ऐसे विद्यार्थी ढूंढ पाएंगे जिनको powerpoint presentation बनाना सीखनी होगी?

एजुकेशन और एक्सपर्टीज़ के बिज़नेस में क्या खास है?

कुछ कारण ऐसे हैं जो  education and expertise के बिज़नेस को दूसरे बिजनिसों से ज्यादा प्रॉफिटेबल (profitable) बनाते हैं। सबसे पहला कारण है कॉस्ट-इफेक्टिवनेस (cost-effectiveness) । जब आप लोगों को ऑनलाइन educate कर के पैसे कमाते हैं, तब आपको बस एक ही बात का ख्याल रखना होता है कि सबसे अच्छा कंटेंट कैसे बनाएँ? इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप किस medium से लोगो को इनफार्मेशन  देने वाले हैं, आपकी सफलता का 80% आपके कंटेंट (content) पर निर्भर करता है। अगर आपको लोगो को चीज़ें अच्छे से समझना आता है तो आप अपनी सफलता का आधा रास्ता तो पहले ही तय कर चुके होते हैं। 

 

आप चाहे किसी भी फॉर्म में educative content बनाएँ, आपके पास हमेशा उस कंटेंट को सस्ते से सस्ते तरीके से बनाने के विकल्प होंगे। जैसे अगर आप लिखित कंटेंट बना रहे हैं तो आप PDF, ब्लॉग या E-Books जैसी फ़ॉर्मेट का उपयोग कर सकते हैं जिनको बनाने में कोई पैसा नहीं लगता। इसी तरह वीडियो कंटेंट भी शूट कर के या PPT के जरिये बनाया जा सकता है, पर इसमें भी प्रोडक्शन का ख़र्चा किसी भी दूसरे बिज़नेस से कम ही लगेगा। मैं ख़ुद एक शैक्षणिक YouTube Channel बिना कोई पैसा खर्च किए चला रहा हूँ और पैसे भी कमा रहा हूँ।

एजुकेशन और एक्सपर्टीज़ पर आधारित बिज़नेस का दूसरा बड़ा फायदा ये है कि आप जो विषय पढ़ा रहे हैं उसमे आपको एक एक्सपर्ट होने की जरूरत नहीं होती। आपको बस basics को समझ कर शुरुआत करनी है और जैसे-जैसे आप सीखते जाते हैं और लोगों को पढ़ाते या समझाते जाते है वैसे-वैसे आप अपने आप एक एक्सपर्ट बनते जाते हैं। जरूरी नहीं है कि हर शिक्षक अपने विषय में एक एक्सपर्ट हो, एक शिक्षक को बस उस विषय को पढ़ाने की एक्सपर्टीज़ होनी चाहिए। अगर आपको ये बात सही नहीं लगती तो जरा सोचिये, बड़े-बड़े MBA के कॉलेजों में पढ़ाने वाले शिक्षक ये पढ़ाते हैं कि बिज़नेस कैसे किया जाता है। पर अगर उनको बिज़नेस करने में इतनी एक्सपर्टीज़ है तो वो खुद अपना बिज़नेस क्यों नहीं कर रहे? नौकरी क्यों कर रहे हैं?

तो अब जब हम  एक education and expertise पर आधारित ऑनलाइन बिज़नेस का महत्व समझ गए हैं तो इसके बाद हमे समझना चाहिए कि ऐसा बिज़नेस चुने कैसे करें जो सफल होगा। इसके लिए  हमारी मदद करेंगे हमारे 5 Market Must Haves। टॉपिक शुरू करने से पहले बता दूँ कि इस बुक के लेखक कहते हैं कि जरूरी नहीं कि ये पांचों के पांच factors आपके बिज़नेस में होंगे तभी आपका बिज़नेस  सफल होगा। हो सकता है कि केवल 4 या फिर 3 condition पूरी होने पर भी आपका बिज़नेस चल जाए। इसलिए इन पाँचों conditions को एक सलाह की तरह लीजिए, एक नियम की तरह नहीं।

Evergreen Market

एक अच्छे मार्केट की सबसे पहली निशानी ये होती है कि वो एवरग्रीन (evergreen) होता है, एक फैड (fad) नहीं। डिमांड के आधार पर हम किसी भी मार्केट को दो श्रेणियों में बाँट सकते हैं: फैड मार्केट और एवरग्रीन मार्केट

फैड मार्केट वो होता है जिसमे डिमांड बहुत ही कम समय के लिए आती है। मान लीजिये कि लैदर जैकेट का एक नया चलन आता है और आप देखते हैं कि आपके आस-पास हर कोई लैदर जैकेट में ही घूम रहा है। कुछ दिन में आप देखते हैं कि केवल एक आप ही हैं जो अपनी वही पुरानी ऊनी बनियान पहन कर घूम रहे हैं जबकि आपके आस-पास सभी एक जैसी लैदर जैकेट पहनने लगे हैं। अब आपको अपने आप में एक ओल्ड फैशन इंसान की तरह फील होने लगता है तो अब आप भी एक लैदर जैकेट ले आते हैं। कुछ दिन तो आप उस लैदर  जैकेट को पहन कर फैशन में बने रहते हैं पर अचानक आप देखते हैं कि आजकल तो सब पुलोवर (pullover) पहन रहे हैं, लैदर जैकेट तो आउट ऑफ़ फैशन हो चुकी है। तो इस केस में लैदर जैकेट का जो कुछ समय के लिए ट्रेंड आया था वो बस एक फैड (fad) था।

अब ऐसे में जिस किसी ने भी अचानक से बढ़ती हुई डिमांड को देख कर लैदर जैकेट बनाने का बिज़नेस शुरू किया होगा, उसका बिज़नेस fad के ख़तम होने पर ठप होना ही होना है। इस सब के दौरान जो बिज़नेस फॉर्मल ड्रेस (formal dresses) बनाते होंगे उन्होंने अपनी expected sales में कोई खास अंतर नहीं दिखा होगा। फॉर्मल कपड़ों की लगभग हर समय एक सी डिमांड होती है और इस बात के कोई आसार नहीं हैं कि आगे जा कर लोग फॉर्मल कपड़े पहनना बंद कर देंगे। ऑफिसों में, कॉलेजों में, स्कूलों में फॉर्मल ड्रेसेस हमेशा से चलती आ रही हैं और आगे भी चलती रहेंगी।

एवरग्रीन मार्केट का यही सिद्धांत एजुकेशन और एक्सपर्टीज़ के बिज़नेस  पर भी लागू होता है। चाहे आप Blogging कर रहे हो, Vlogging कर रहे हों, लोगो को ऑनलाइन पढ़ा रहे हों, E-Books बेच रहे हों, आपको बस इस बात का ध्यान रखना है कि आप जो कंटेंट बना रहे हों उसकी डिमांड लम्बे समय तक रहे।

उदाहरण के लिए, करीब एक साल पहले मैंने मेरे YouTube चैनल के लिए Influence: The Psychology of Persuasion नाम की किताब पर एक वीडियो बनाई थी। जिस दिन मैंने उस वीडियो को अपलोड किया था उसी दिन से उस वीडियो पर हमेशा views आते हैं, यहाँ तक कि हर महीने उस वीडियो पर पिछले महीने से ज्यादा views आते हैं।

पर ये views आते कहाँ से हैं? हर महीने एक-चौथाई से भी ज्यादा views उन लोगो से आते हैं जो खुद इस किताब के बारे में Google पर सर्च कर रहे हैं। इसका मतलब ये है कि इस किताब की एक स्थिर डिमांड हमेशा रहती है। और मुझे पूरा यकीन है कि आगे भी ये डिमांड ऐसे ही बनी रहेगी। पर मैं ऐसा कैसे कह सकता हूँ? मुझे अपनी बात पर भरोसा इसलिए है क्योंकि ये किताब 1984 में छपी थी और तब से लगभग 30 दशक बाद भी लोग इसे सर्च कर रहे हैं। इसका मतलब कि ये किताब खुद ही एक एवरग्रीन किताब है।

इस किताब की जगह अगर मैंने किसी ऐसे प्रोडक्ट के ऊपर विडीओ बनायीं होती जो उस समय मार्केट में नया-नया आया होगा तो अब तक दृश्य कुछ और ही होता।ये वीडियो मैंने सितम्बर 2018 में बनायी थी और  मान लीजिये कि मैंने उसी समय रिलीज़ हुए  किसी सस्ते से एंड्राइड फ़ोन का review किया होता, तो क्या आपको लगता है कि आज 2020 में भी लोग उस फ़ोन के बारे में सर्च कर रहे होते?

इसलिए जब भी आप कोई information-based बिज़नेस शुरू कर रहे हैं तो ये ध्यान दे कि आप जो भी इंन्फोर्मशन लोगो को देंगे वो लम्बे समय तक रिलेवेंट रहेगी। कुकिंग, रीडिंग, ट्रैवेलिंग, हेल्थ एंड फिटनेस, ये कुछ ऐसे सब्जेक्ट हैं जो कभी पुराने नहीं होते। आगे आने वाली पीढ़ियाँ भी इन सब टॉपिक्स के बारे में जानकारी खोजती रहेंगी।

Enthusiast Market

एक अच्छे मार्केट की दूसरी निशानी ये होती है कि वो एक एंथोसिएस्ट मार्केट (enthusiast market) होता है, न कि केवल एक बार प्रॉब्लम सॉल्व करने वाला मार्केट।

अब Enthusiast Market को समझने से पहले ये समझिये कि किसी भी मार्केट में दो तरह के कस्टमर होते हैं:

– ऐसे कस्टमर जो केवल एक बार मार्केट से कोई सामान खरीदते हैं और फिर दोबारा कभी वापस नहीं आते|
– और ऐसे कस्टमर जो मार्केट में बार-बार खरीददारी करते हैं।

मान लीजिये कि आप कंस्ट्रक्शन (construction) का  सामान बेचते हैं। सीमेंट, पाइप, स्विच बोर्ड, और घर बनाने के लिए जो भी सामान लगता है वो सब आपके पास होता है। आपके स्टोर के सारे कस्टमर वो लोग हैं जिनके अभी मकान बन रहे हैं। ऐसे कस्टमर्स को अपना मकान बनने के बाद आपके प्रोडक्ट्स (products)  की बहुत लम्बे समय तक जरूरत नहीं पड़ेगी, इनमे से कई तो शायद कभी दोबारा आपके पास आएँ ही नहीं।  इसलिए आपकी बिक्री पूरी तरह से नए कस्टमर्स पर निर्भर करती है। ऐसा इसलिए क्योंकि आप जिस मार्केट में हैं उसमे ज्यादातर कस्टमर्स को अपनी प्रॉब्लम के लिए केवल एक one-time solution की जरूरत रहती है।  एक बार कस्टमर की problem solve हुई और वो आगे बढ़ जाता हैं। ऐसे में तब क्या होगा जब आपके आस-पास नई बिल्डिंगों की जरूरत नहीं बचेगी?

ऐसी प्रॉब्लम से बचने के लिए आपको एक enthusiast market में जाना पड़ेगा। एक enthusiast market वो होता है जहाँ कस्टमर्स किसी भी विषय या काम में बहुत ज्यादा इंटरेस्टेड होते हैं। जब लोगो को किसी सब्जेक्ट या काम में बहुत इंटरेस्ट, लगाव, या शौक होता है तो वो उसे पूरा करने के  लिए बार-बार मार्केट से  नयी-नयी ख़रीददारी करते है और अगर आप ऐसे कस्टमर्स की ज़रूरतों को पूरा कर सकते हैं तो एक सिंगल कस्टमर से भी लम्बे समय तक पैसा कमा सकते है।

उदाहरण के लिए हम हेल्थ और फिटनेस का मार्केट देख सकते हैं। जो लोग स्वस्थ रहना पसंद करते हैं वो हमेशा व्यायाम करते हैं, healthy foods खरीदते हैं, supplements खरीदते हैं, स्पोर्ट्स वाली ड्रेसेस लेते हैं, accessories खरीदते हैं, कसरत का सामान खरीदते है।  जब मार्केट में कुछ नया आता है तो वो उसे try करते है।  उनके sportswear, footwear वगैरह जैसे ही खराब होते हैं वो उन्हें तुरंत बदलते है।  बहुत से लोग तो अपनी पसंदीदा accessories का नया edition आते ही खरीद लेते हैं भले ही पुराने से भी उनका काम चल सकता हो।

तो ये तो एक enthusiast market हुआ, लेकिन आपको इस मार्केट के अंदर एक education and expertise वाला बिज़नेस शुरू करना है।  उदाहरण के लिए तरुण गिल एक fitness influencer है।  ये अपने यूट्यूब चैनल से लोगो को एक fit शरीर बनाने के लिए educate करते है। इनके यूट्यूब चैनल पर करीब एक मिलियन सब्सक्राइबर्स है।  इनकी एक Amazon Store भी है जहाँ वो लोगों को सुझाव देते हैं कि उन्हें अपनी फिटनेस के लिया कौन-से products खरीदने चाहिए।  जब कोई उनके बताए हुए प्रोडक्ट खरीदता है तो उन्हें इसका  कमीशन मिलता है।  चूँकि इस मार्केट में बहुत से enthusiastic कस्टमर्स हैं इसलिए उनके पास हमेशा अपने loyal followers को बार-बार नए प्रोडक्ट्स बेचने के अवसर मिलते रहते है।  चूँकि उनके followers उन पर भरोसा भी करते हैं इसलिए वो खुद ही उनसे नए-नए सुझाव लेना चाहते हैं। और केवल सुझाव ही नहीं, यही followers उनकी हर नयी वीडियो को भी देखते हैं जिससे उनको विज्ञापन से भी कमाई होती।  और इस बात में हमें कोई शक नहीं होना चाहिए कि अगर आगे जाकर वो खुद के प्रोडक्ट्स भी निकाल देते हैं तो उनको बेचने में भी उन्हें कोई दिक्कत नहीं आएगी।

अब आपका एक बात पर ध्यान गया होगा कि वो ऐसा इसलिए कर पाते हैं क्योंकि उनके fans हैं। पर आप कैसे ऐसे fans पा सकते हैं जो आपकी बात सुनना चाहते हों? इसके लिए हमे ढूंढनी होगी हमारी तीसरी निशानी

Market with Urgent Problems

एक एवरग्रीन मार्केट ये पक्का करेगा कि उसमे हमेशा डिमांड बनी रहेगी।  एक एवरग्रीन enthusiast मार्केट ये पक्का करेगा कि उसके कस्टमर्स बार-बार ख़रीददारी (repeat purchase) करेंगे।  अब आपको ये पक्का करना है कि ये सारी रिपीट-परचेस कस्टमर्स आपके बिज़नेस से करे। 

रिपीट परचेस आपसे कोई भी कस्टमर तब करेगा जब वो आपका एक loyal follower होगा। और लॉयल फॉलोवर ढूंढने के लिए आपको ऐसे मार्केट में जाना होगा जहाँ पर कस्टमर की समस्याएँ urgent होती हों।

कल्पना कीजिये कि आपके दाँत में बहुत तेज दर्द हो रहा है।  दर्द इतना तेज है कि आप उसे भगाने के लिए कुछ भी करने को तैयार है। तब आप एक डेंटिस्ट के पास जाते हैं और वो कहता है आपके दाँत को साफ़ करना पड़ेगा और कैविटी को भरना पड़ेगा।  आप उस डेंटिस्ट की बात मान जाते हैं और उसे अपनी प्रक्रिया करने देते हैं। प्रोसीजर होने के बाद आपका दर्द बहुत कम हो जाता है और दो दिन में ही आप एक दम सामान्य महसूस करने लगते हैं।

अब इस घटना का आपके ऊपर क्या असर होगा? आपके मन में उस डेंटिस्ट के प्रति भरोसा जाग जायेगा और जब भी आपको कभी कोई डेंटल प्रॉब्लम होगी तो आप सीधे उसी डेंटिस्ट के पास जायेंगे।  जब भी आप किसी और को किसी डेंटल प्रॉब्लम से जूझते हुए देखेंगे तब आप उसको इसी डेंटिस्ट के पास जाने की सलाह देंगे। इस तरह से आप उस डेंटिस्ट के  loyal follower बन गए क्योंकि उसने आपकी एक अर्जेंट समस्या का समाधान कर दिया।  

अब education और expertise की फील्ड में आप दूसरे बिज़नेस  की urgent समस्याओं का समाधान कर सकते हैं।  जैसे कि अगर कोई बिज़नेस अपनी सारी बिक्री अपनी वेबसाइट से करता है और अचानक से उसकी वेबसाइट में कोई प्रॉब्लम आ जाए तो उस  प्रॉब्लम के आते ही उस बिज़नेस को नुक़सान होने लगेगा।  अगर आप इस अर्जेंट प्रॉब्लम को सुलझा देंगे तो वो बिज़नेस आपका loyal follower बन जायेगा।  Freelancing आपको ऐसी अर्जेंट बिज़नेस problems को सोल्व करने के कई मौके दे सकता है।  आप एक Business Analyst हो सकते हैं, Web Developer हो सकते हैं, Software Developer हो सकते हैं, Social Media Manager हो सकते हैं, इस तरह की फ़ील्डों में हमेशा अर्जेंट समस्याएँ आती रहती हैं।  अर्जेंट problems को सुलझाइए और लोगो को अपना follower बनाइए।

खुद लोगों की समस्याओं का समाधान  करने की जगह आप उन्हें केवल इसके लिए educate भी कर सकते हैं। आप ऐसे टॉपिक्स पर ब्लॉग, इ-बुक, वीडियो, पोडकास्ट या कोर्स बना सकते हैं जो दूसरे बिज़नेसों को उनकी अर्जेंट problems को सोल्व करना सिखाय।  इससे आपको खुद से काम नहीं  करना पड़ेगा।  

पर अर्जेंट problems केवल इन्ही फ़ील्डों तक सीमित नहीं है, ये तो बस कुछ उदाहरण थे।  

यहाँ पर जब आप खुद ही दूसरों की problems solve कर रहे हैं तब आप अपनी expertise का उपयोग तो कर रहे हैं पर आप लोगो को educate नहीं कर  रहे।  अगर आप खुद लोगों की प्रॉब्लम सोल्व करने की जगह केवल उन्हें समाधान बताते तो आप उन्हें educate कर रहे होते।

Market with Future Problems

एक सही मार्केट की अगली निशानी होती हैं कि उसके ग्राहकों को भविष्य में भी समस्याएँ आनी चाहिए।  इस बात को समझना बहुत ही आसान है।  भले ही लोग आपके followers बन जाएं, पर अगर उनको future में कोई प्रॉब्लम आएगी ही नहीं तो वो आपके पास वापस क्यों आएँगे? जिस कंस्ट्रक्शन मटेरियल वाले बिज़नेस कि बात हमने पहले की थी, एक तरह से वो भी कुछ हद तक लोगो कि अर्जेंट प्रॉब्लम ही सोल्व कर रहा है, पर चूँकि उन कस्टमरों को आगे जा के कोई प्रॉब्लम ही नहीं आ रही इसलिए वो उसके पास लौट ही नहीं रहे।

वहीं जो हमने Fitness Enthusiast Customers की बात की थी, तो उनके पास हमेशा कोई न कोई फ्यूचर प्रॉब्लम होंगी। एक दम परफेक्ट biceps पाने के बाद उन्हें अपने legs पर काम करने के लिए टिप्स चाहिए होंगे।  Muscles बनने के बाद उनको अपना वजन कम या ज्यादा करने तरीकों में इंटरेस्ट आने लगेगा।  या फिर अपना body-fat ratio ही सही करना होगा। अपने हर पिछले goal को पाने के बाद हमेशा उनके पास एक नया objective होगा। 

यही नियम हमारे बिज़नेस  में आने वाली urgent problems पर भी लागू होता है।  ऐसा कोई बिज़नेस  नहीं है जिसमे कभी problems न आएं।  जब तक फ्यूचर problems आती रहेंगी तब तक आपके loyal followers आपके पास आते रहेंगे और आप उनसे कमाई करते रहेंगे।

Customers with Money to spend

अब हमारे ideal market की जो आखिरी निशानी है वो ये है कि आपके मार्केट में जो कस्टमर्स हैं, उनके पास पैसा होना चाहिए | जब आपको अपने घर के लिए सब्ज़ियाँ खरीदनी हों, तो आप उन्हें कई जगह से खरीद सकते हैं।  आप एक हाथ ठेले वाले से भी सब्ज़ियाँ खरीद सकते हैं,जो खुद ही आपके घर के पास आपको सब्ज़ी ला कर देगा।आपको अगर लगता है कि वो सब्जी महंगी दे रहा है तो आप उससे मोलभाव भी कर सकते हैं। बुरे से बुरे केस में भी उस ठेले वाले की सब्जी बाजार में लगी  सब्जी मंडी से  थोड़ी बहुत ही महंगी होगी।  पर ये बात मत भूलिए कि वो आपको घर तक सब्जी ला कर भी तो दे रहा है। 

एक दूसरी जगह जहाँ से भी आप यही सब्ज़ियाँ  खरीद सकते हैं वो है आपके घर के पास का सुपरमार्केट।  पर इन्ही सब्जियों की क़ीमतें वहाँ इससे कही ज्यादा होंगे। Organic सब्जियों की क़ीमतें तो इनसे 2 से 4 गुना ज्यादा भी हो सकती हैं।  

 

एक ideal scenario में तो ज्यादा कीमतों के कारण सुपरमार्केट से कोई सब्ज़ियाँ ही ना ख़रीदे। और ठेले वालों के कारण तो सुपरमार्केटों का बिज़नेस ही ठप हो जाना चाहिए।  पर क्या असलियत में ऐसा होता है? आपको क्या लगता है कौन ज्यादा बिक्री करता है? ठेले वाला या सुपरमार्केट वाला ?

 

सुपरमार्केट वाला महंगी सब्ज़ियाँ बेच कर भी ज्यादा पैसे की बिक्री कर पता है क्योंकि वो high income और high standard वाले ग्राहकों को सामान बेचता है।  इन कस्टमर्स को बस बेस्ट क्वालिटी का सामान चाहिए, और उसके लिए वो ज्यादा पैसे देने के लिए भी तैयार हैं।  

 

Education and Expertise की फील्ड में भी, अगर आप स्कूल के बच्चों को पढ़ा रहे हैं, उनके लिए कोर्स तैयार कर रहे हैं, या उन्हें कोई ऐसी चीज बेच रहे हैं जो उन्हें पढाई में मदद करेगी तो आपको उसकी कीमत स्टूडेंटों की ख़रीद शक्ति के हिसाब से ही रखनी पड़ेगी।  बहुत ही कम स्टूडेंट ऐसे होंगे जो पैसे कमाते हैं ,इसलिए उनकी  ख़रीद शक्ति हमेशा कम ही रहेगी। इसकी जगह आप अगर ऐसे लोगो को सेवाएँ दें जो अपना टैक्स बचाना चाहते हैं, या निवेश करने के लिए सलाह चाहते हैं, तो आप ऐसे लोगो से आसानी से केवल अपनी एडवाइस दे कर ही ऊँची  फीस ले सकते है। ऐसे लोगो के पास पहले से ही पैसा है और आप उस पैसे को बचाने या फिर बढ़ाने में उनकी मदद कर रहे हैं।  अगर ऐसे लोग आप पर भरोसा करते हैं तो वो आपको पैसे देने के लिए दो बार भी नहीं सोचेंगे। 

 

उदाहरण के लिए आपको Twitter पर ही बहुत से ऐसे स्टॉक मार्केट के सलाहकार मिल जायेंगे जो ट्रेडिंग की टिप्स देते हैं।  छोटे ट्रेडों की सलाह वो लोगों को मुफ़्त में देते हैं ,बड़े प्रॉफिट वाले ट्रेड्स के लिए आपको उन्हें फीस देनी पड़ती है।  लोग पहले उनकी फ्री एडवाइस को try कर के देखते हैं, अगर एडवाइस काम करती है तो फीस देना शुरू कर देते हैं।  

The Psychology of Money [पैसे का मनोविज्ञान]

लेखक मॉर्गन हौसल (Morgan Housel) की किताब पैसे का मनोविज्ञान (The Psychology of Money) हमें इंसान और पैसे के बीच के जटिल सम्बन्ध को समझाती है। इसके कारण कई बार पैसे के मामले में हम अपनी समझ से काम लेने की जगह अपनी भावनाओं को हावी हो जाने देते हैं और तर्कहीन तरीक़े से सोचने और काम करने लगते हैं। इसी मानव आचरण का विश्लेषण देते हुए लेखक (Morgan Housel) ने हमारी सोच को बेहतर बनाने का प्रयास किया है।

पैसे का मनोविज्ञान को हिंदी में यहाँ समझें The Psychology of Money